Prachin Bhartiya Itihas Ka Mahatva - प्राचीन भारतीय इतिहास का महत्व | Prachin Bharat Ka itihas | Anicient India in Hindi
इतिहास को जानने और समझने से पहले हमें इतिहास के महत्व को अच्छे ढंग से समझ लेना अतिआवशक है।
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UPSC,PCS,RAS,SSC,BANK,RAILWAY इन सभी सरकारी परीक्षा में इतिहास से जुड़े अनेकों अनेक प्रश्न हमसे पूछे जाते है। अगर हम किसी भी सरकारी एग्जाम की तैयारी कऱ रहे है तो हमे इतिहास (HISTORY) के सब्जेक्ट को सही ढंग से समझ लेना बहुत ही जरुरी है। अगर आप किसी एग्जाम की तैयारी नहीं भी कर रहे फिर भी हमे हमारे इतिहास के बारे में हमारी प्राचीन सभ्यताओं के बारे में जानकारी होनी बहुत ही जरुरी है, की आखिर हमारे पूर्वज कैसे रहते थे। उस समय कौनसी शिक्षा प्रणाली मौजूद थी। राजयव्यवस्था और व्यापर की सरचना उनके भवनों और नगरों की सरचनाएँ इन सभी के बारे में जानकारी हमे केवल इतिहास के द्वारा ही प्राप्त होती है। इसलिए हमे इतिहास के महत्व को समझना चहिय। (Prachin Bhartiya Itihas Ka Mahatva )
- प्राचीन इतिहास से ही हमे जानकारी मिलती है की कृषि की शुरुआत कब और कैसे हुई थी।
- प्राकृतिक सम्पदाओं की खोज कैसे हुई थी।
- मानव ने जीविका के साधन कैसे जुटाए थे - खेती, कताई, बुनाई, धातुकर्म आदि।
- किस प्रकार ग्रामों, नगरों और बड़े - बड़े राज्यों की स्थापना हुई।
- कैसे हमने अपनी आवश्कता पूर्ति के लिए इतने साधनो को जुटाए है।
इतिहास में अनेको- अनेक रोचक कहानियाँ और किस्से भी मौजूद है। जिसके कारण इतिहास को जानने और समझने का हमारा आकर्षण बना रहता है।
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सबसे पहले हम इतिहास को समझने के लिए इसे तीन भागों में बांटेगे।
(1) प्राचीन इतिहास
(2) मध्यकालीन इतिहास
(3) आधुनिक इतिहास
आज से हम शुरू करेंगे "प्राचीन इतिहास" - सबसे पहले हम प्राचीन इतिहास को समझेंगे जब मानव सभ्यता का विकास हुआ था। इसे प्रागैतिहासिक काल भी कहा जाता है।
- ऐसा काल जिसमे लिखित साक्ष्य मौजूद न हो प्रागैतिहासिक काल कहलाता है। इसमें सिर्फ पुरातात्विक साक्ष्यों पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
सर्वप्रथम खोज - 1886 ई - रॉबर्ट ब्रूस फुट ने (तमिलनाडु के पलल्वरम में)
जियोलॉजिकल सर्व और इंडिया
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अब हम प्रागैतिहासिक काल को यानी प्राचीन भारत को भी 3 भागो में बांटेगे ताकि हमे समझने में आसानी हो।
(1) पाषाण काल
(2) कांस्य युग
(3) लोहा युग
पहले हम पाषाण काल को समझेंगे जिसे भी हम 3 भागो में बांटेगे।
(1) पूर्व पाषाण काल
(2) मध्य पाषाण काल
(3) नव पाषाण काल
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पाषाण काल को समझने से पहले हमे एक बार "प्राचीन भारतीय स्त्रोतों" के बारे में जान लेना अतिआवश्यक है।
प्राचीन भारतीय स्त्रोत जानने के लिए यहाँ क्लिक करें - "प्राचीन भारतीय स्त्रोतों"
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