IUCN Red Data Book in Hindi - List of Endangered Animals Species in India : देश भर में अब तक जीवों की बहुत सी ऐसी प्रजातिया है जो संकट ग्रस्त है और कुछ प्रजातिया पूर्णतया भारत में लुप्त भी हो गई है। जिन्हें हम भविष्य में कभी दोबारा नहीं देख पाएंगे। यह बहुत ही गंभीर विषय है सभी देशो को मिलकर इस पर उच्चित कदम उठाना चाहिए वरना हम हमारे इस प्रकृति में रहने वाले बहुत से दुर्लभ जीवों की प्रजातियों को खो देंगे।
धरती का संतुलन बनाने के लिए जिव - जंतु भी यहाँ उतने ही महत्वपूर्ण है जितने की ये पेड़ - पौधे। आज हम आपके लिए भारत के कुछ ऐसे जीवों के बारे में जानकारी लेकर आए है। जो अब भारत की धरती से लुप्त हो चुके है।
व्हेल शार्क - यह पुरे विश्व की सबसे बड़ी मछली है जो भारत के गुजरात के कच्छ से सटे समुन्द्र में और लक्ष्यदीप के आस - पास के इलाकों में पाई जाती थी। IUCN ने 2016 में इसे संकट ग्रस्त घोषित किया था। पहले इसका बहुत ज्यादा व्यापर किया जाता था। 2001 में इसके व्यापर पर प्रतिबंद भी लगाया गया था। इस मछली को अंतिम बार भारत के समुन्द्र में 2 साल पहले देखा गया था।
इंडियन पैंगोलिन - यह जीव चींटियों और छोटे कीट मछरो को खाता है। यह प्रजाति भी अब भारत में विलुप्त होने के कगार पर है। मास और खाल के लिए बड़े पैमाने पर इस प्रजाति का शिकार किया जाता है। यह हिमाचल प्रदेश के जंगलो में पाया जाता था। जिसे स्थानीय भाषा में सलगर कहते हैं। पहले भारत के कुछ गावो में भी यह देखे जाते थे। लेकिन पिछले कुछ सालो से इस प्रजाति के जीव नहीं दिखें है।
फिशिंग केट - भारत में इन जंगली बिल्लियों को भी अब लुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में रखा गया है। यह बिल्लियों पानी में मौजूदा मछलियों का शिकार करती है। भारत में यह सुंदरवन, गंगा और ब्रह्मपुत्र की घाटियों में पाई जाती है। लेकिन अधिकतर जल स्त्रोतों के सुकने और जंगलों की तेजी से कटाई के बाद यह भारत की दुर्लभ प्रजाति बन गई है।
कस्तूरी मृग - यह हिरण उत्तराखंड का राज्य पशु है। इन हिरणों को ऊँचे स्थानों पर रहना पसंद है। कुछ केदारनाथ के पहाड़ी इलाकों में भी यह पाया जाता था। लेकिन पिछले 21 सालों में इनकी संख्या में काफी तेजी से गिरावट आई है। भारत के बहुत से इलाकों में तो यह बिल्कुल लुप्त हो चुके है।भारत सरकार ने इनके शिकार पर प्रतिबंद लगा रखा है। इनके शरीर में मौजूद कश्तूरी के लिए इनका शिकार किया जाता था। ऐसे में यह हिरण भी अब आने वाले समय में हमे देखने को नहीं मिलेंगे।
लाल ताज वाला कछुआ - यह ताजे पानी में रहने वाली भारतीय कछुए की एक प्रजाति है। जो अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। इस प्रजाति के कछुए के सिर पर दोनों तरफ लाल रंग की धारिया होती है। यह भारत की गहरे पानी की नदियों में पाया जाता था। लेकिन अब काफी समय से इन कछुओं के बारे में हमे कोई जानकारी नहीं मिली है।
क्लाउड तेंदुआ - भारत का यह खूबसूरत तेंदुआ अब लुप्त होने की कगार पर है 8 हजार से कम तेंदुए ही पुरे देश में बचे है। यह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के पहाड़ी इलाको में पाए जाते है। इन्हे IUCN Red Data Book द्वारा लुप्तप्राय जानवर घोषित कर दिया गया है।
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