Samrat Ashok Ka Itihas in Hindi - सम्राट अशोक का इतिहास एवं जीवनी | Ashoka Life Story in Hindi | Samrat Ashok History in Hindi | Maurya Empire Hindi - Samrat Ashok Biography in Hindi, Samrat Ashok Jeevan Parichay Life Introduction In Hindi सम्राट अशोक जीवन परिचय हिंदी में - दोस्तों हम मौर्य सम्राज्य के बारे में पढ़ रहे थे जिसमें हमने सबसे पहले चंद्रगुप्तमौर्य और फिर बिन्दुसार के इतिहास के बारे में जाना और समझा था। अब हम बिन्दुसार के पुत्र अशोक के जीवन के बारे में जानेंगे।
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Samrat Ashok Ka Itihas in Hindi - सम्राट अशोक का इतिहास एवं जीवनी |
सम्राट अशोक को देवानांप्रिय एवं प्रियदर्शी आदि नामों से भी जाना जाता है। उसके समय मौर्य राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर, कर्नाटक तक तथा पूर्व में बंगाल से पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान तक पहुँच गया था। सम्राट अशोक के काल में भारत का सम्राज सबसे बड़ा माना जाता है। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य के बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जाना जाता है।
सम्राट अशोक हिस्ट्री इन हिंदी Samrat Ashok History in Hindi
नाम - सम्राट अशोक
अन्य नाम - 'देवानाम्प्रिय' एवं 'प्रियदर्शी
जन्म - 304 ईसा पूर्व
जन्म भूमि - पाटलिपुत्र (पटना)
मृत्यु तिथि - 232 ईसा पूर्व
पिता का नाम - बिन्दुसार
माता - धर्मा (सुभाद्रंगी)
संतान - पुत्र महेन्द्र, पुत्री संघमित्रा
धार्मिक मान्यता - हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म
युद्ध - कलिंग-युद्ध' (262-260 ई.पू. के बीच
निर्माण - भवन, स्तूप, मठ और स्तंभ
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सम्राट अशोक का इतिहास हिंदी में Samrat Ashok Ka Itihas in Hindi
सम्राट अशोक मौर्य सम्राज्य के तीसरे शासक थे। ये चंद्रगुप्तमौर्य के पोते और बिन्दुसार के पुत्र थे। इन्हे एक कुशल शासक के तौर पर भी जाना जाता है। अशोक की माता एक बहुत ही गरीब परिवार से थी। सम्राट अशोक के समय में चाणक्य मौजूद थे जो की उनके दादा के गुरु रह चुके थे। एक कुशल मंत्री से शिक्षा पा कर अशोक भी प्रजा के प्रति सच्ची निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करते थे।
सम्राट अशोक पाटलिपुत्र
सम्राट अशोक बचपन से ही एक कुशल राजा बनने के सारे गुण मौजूद थे। इसी कारण राज्य में हुए कई विद्रोह में बिन्दुसार ने अपने पुत्र अशोक को भेजा था और अशोक ने बहुत से विद्रोह शांत भी किए थे। अशोक को शिकार का भी शोक था। धीरे - धीरे राज्य की प्रजा इन्हे पसंद करने लगी थी। सम्राट अशोक के इन्हीं सब गुणों को मध्य नजर रखते हुए उनके पिता ने उन्हें जल्द ही सम्राट घोषित कर दिया था। उन्होने सर्व प्रथम उज्जैन का शासन संभाला, उज्जैन ज्ञान और कला का केंद्र था तथा अवन्ती की राजधानी।
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सम्राट अशोक का सम्राज्य
अशोक का राज्य ईरान तक फैला हुआ था। अशोक का सम्राज्य हिंदुकश कहलाता था। अशोक ने अपने जीवन काल में एक ही युद्ध लड़ा था (कलिंग युद्ध) और इस युद्ध में भारी नर - संहार को देखते हुए उन्होंने अंत में बौद्ध धर्म को अपना लिया था। उनका मन इस युद्ध के बाद विचलित हो उठा और उन्होंने सभी राज्य को युद्ध न करने की सलाह दी यहाँ से महान सम्राट अशोक दुनियाँ के लिए शांति दूत बन गए।
चक्रवर्ती अशोक सम्राट की फोटो
इस समय सम्राट अशोक एक संत और एक राजा दोनों रूपों में प्रजा के बिच मौजूद थे। जो सभी को शांति के मार्ग पर लाना चाहते थे। उन्होंने अपने सम्राज्य के सभी लोगो को एक - दूसरे की सेवा और मदद करने की बात कही थी।
सम्राट अशोक ने कई नियम बनाए और उन नियमों और बौद्ध धर्म के प्रचार को ही अपना उद्देश्य माना। बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए इन्होने अपने पुत्र और पुत्री को श्री लंका तक भी भेजा ताकि सभी को भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षाओ का लाभ मिल सके।
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Samrat Ashok Ke Shilalekh
अपने धर्म के प्रचार के लिए उन्होने धर्म ग्रंथो का सहारा लिया तथा पत्थर के खंबों गुफाओ तथा दीवारों पर चिन्ह और संदेश अंकित करवाये। अशोक सम्राट ने 84 स्तूपो का निर्माण कराया इसके लिए उन्हे केवल 3 वर्ष का समय लगा। वाराणसी के निकट सारनाथ स्तूप के अवशेष आज भी देखे जा सकते है। मध्य प्रदेश का साची का स्तूप भी बहुत प्रसिद्ध है । अशोकस्तम्भ का निर्माण करवाया। हमारे तिरंगे के बीच में जो चक्र है वो अशोक चक्र को देख कर ही बनाया गया है। हमारे भारतीय नोट में जो सिंह की फोटो है। जिसे सिंहचतुर्मुख कहते हैं. वह भी इनके बनाए स्तम्भो से लिया गया है। भारत की भूमि पर जन्मे ऐसे राजाओं पर हमे गर्व है। दुनियाँ भर में इनका नाम हमेशा आदरपूर्वक लिया जाएगा।
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सम्राट अशोक ने 40 वर्ष तक शासन किया इसके बाद एक महान सम्राट इस दुनिया से विदा हो गया। अशोक की मृत्यु के बाद उनका सम्राज आगे 50 सालों तक ही चला।
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