राम जन्मभूमि अयोध्या का इतिहास एवं सम्पूर्ण जानकारी History of Ram Mandir Ayodhya in Hindi, राम मंदिर भूमि पूजन, Ayodhya Ram Mandir Ka Itihas - राम मंदिर निर्माण - Ram Mandir Bhoomi Pujan - History of Ram Mandir and Babri Masjid in hindi - राम जन्मभूमि - Ram Janam Bhumi Pujan
अयोध्या जो राम की नगरी है। इस भूमि पर प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था। भगवान श्री राम यहाँ खेले - कूदे एवं इसी भूमि पर बड़े हुए थे। रामायण के आलावा ऐसे बहुत से ग्रन्थ और पुरानी किताबे है जिनमें इस भूमि की पवित्रता के बारे में लिखा गया है। हालाँकि जिस प्रकार कृष्ण जन्म भूमि पर मंदिर बना हुआ है उतना विशाल मंदिर यहाँ पर नहीं है। बहुत साल पहले राम जन्म भूमि पर एक छोटा सा मंदिर हुआ करता था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक अपने ही नाम की बाबरी मस्जिद बना दी। तभी से यह भूमि विवादों में बन गई और दोनों धर्मो के पक्षों में इसको लेकर कहा सुनी होती रहती थी। एक गलती जो बाबर ने की जिसका खामियाजा वर्तमान के लोगो को भुगतना पड़ा था। हिन्दू - मुस्लिम दोनों ही पक्षों में इसके कारण काफी विवाद हुआ था।
शहर का नाम - अयोध्या नगरी
चर्चित जन्म स्थान - राम लला का (हिन्दुओं के प्रमुख देवता)
स्थान - अयोध्या (उत्तर प्रदेश, भारत)
स्थापना - मनु के द्वारा
निर्माता - विक्रमादित्य द्वितीय
बाबरी मस्जिद का निर्माण - 1528
बाद में बाबरी मस्जिद गिराई गई - 6 दिसंबर 1992
एक बार फिर से सुनवाई की याचिका दी - 2018 में
सुनवाई शुरू हुई - 6 अगस्त 2019
अंतिम फैसला - 16 अक्टूबर 2019
हिन्दुओं को - राम जन्म भूमि
मुसलमानों को - मस्जिद के लिए 5 एकड़ भूमि
लेकिन होना तो वही था जो सच था और जो राम को मंजूर था। असल में कुछ महीने पहले ही यहाँ जमीन से बहुत साल पुराने खम्बे और ऐतिहासिक समान निकले थे जो इस और संकेत करते है की यहाँ वाकई में एक राम मंदिर था साथ ही साथ इस भूमि में 6 फिट की एक शिवलिंग निकली है जिसके बाद यह सभी बाते बिल्कुल साफ़ हो चुकी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने से पहले भारत के सभी लोगो से वादा किया था की में अयोध्या में राम मंदिर जरूर बनवाऊंगा और आज ऐसा ही होने जा रहा है। 500 सालों से अटके विवाद को मोदी जी ने कुछ ही सालो में सुलझा दिया और आज 5 अगस्त 2020 को सुबह 12:00 बजे अयोध्या में राम जन्म भूमि का पूजन होने जा रहा है और मंदिर की पहली नीव रखी जाएगी।
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इस मंदरी के लिए वर्षो से कई लोग बहुत मेहनत और तपस्या कर रहे थे। कोरोना काल में भूमि पूजन में तमाम तरह की सावधानी भी रखी जाएगी एवं अधिक संख्या में लोग एकत्रित नहीं होंगे। आज भारत के प्रधानमंत्री भी इस दिव्य अवसर पर अयोध्या पधारेंगे।
अयोध्या में राम मंदिर के लिए दो भाई ऐसे भी है जो पिछले कई सालो से पवित्र नदियों का जल एकत्रित कर रहे थे उन्होंने 51 नदियों का जल एवं 3 समुन्द्रो का जल इकठा किया है ताकि वो भूमि पूजन में उस जल को चढ़ा सके। अयोध्या में भूमि पूजन के लिए अलग - अलग जगहों से सभी समान मगवाया गया है साथ ही साथ महाकालेश्वर से भगवान भोले नाथ की भस्म एवं काशी से कुछ बर्तन चांदी के नाग एवं कछुए आदि समान लाए गए है।
आज पुरे देश भर में राम का नाम गूंज रहा है घर - घर में सभी राम के नाम पर भजन कीर्तन कर रहे है। रात्रि में पुरे घर को ठीक उसी प्रकार सजाया जाएगा जिस प्रकार श्री राम 14 सालों के बनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।
आज पूरा अयोध्या शहर जग - मगा रहा है। अयोध्या नगरी की तमाम गलियों में सुंदर - सुंदर भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, एवं भक्त हनुमान के चित्र बनाए गए है।
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अयोध्या राम मंदिर का इतिहास || History of Ram Mandir Hindi
अयोध्या में यह विवाद करीब 5 सदियों से चला आ रहा है। रामायण में यह साफ़ लिखा हुआ है की अयोध्या नगरी की स्थापना मनु ने की थी। अयोध्या हिन्दुओं के सबसे प्राचीन और धार्मिक स्थानों में से एक है। हिन्दुओ के 7 तीर्थ स्थानों में अयोध्या की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है। यह भी माना जाता है की राम के पिता दसरथ का शासन यहाँ चलता था इसी कारण यहाँ प्राचीन दसरथ महल भी बना हुआ है।
अयोध्या में सरयु नदी का इतिहास || History of Sarayu River in Hindi
- शुरुआत में अयोध्या कौशल राज्य की राजधानी हुआ करती थी। जब भगवान गौतम बुद्ध आए उस समय कौशल के दो भाग हो चुके थे। एक उत्तर कौशल और एक दक्षिण कौशल एवं इन दोनों के बिच से ही सरयु नदी बहती है।
- यह एक वैदिक कालीन नदी है जिसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
- सरयू नदी (अन्य नाम घाघरा, सरजू, शारदा) हिमालय से निकलकर उत्तरी भारत के गंगा मैदान में बहने वाली नदी है जो बलिया और छपरा के बीच में गंगा में मिल जाती है।
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- रामायण की कथा में सरयू अयोध्या से होकर बहती है जिसे दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि माना जाता है। वाल्मीकि रामायण के कई प्रसंगों में इस नदी का उल्लेख आया है। उदाहरण के लिये, विश्वामित्र ऋषि के साथ शिक्षा के लिये जाते हुए श्रीराम द्वारा इसी नदी द्वारा अयोध्या से इसके गंगा के संगम तक नाव से यात्रा करते हुए जाने का वर्णन रामायण के बाल काण्ड में मिलता है।
अयोध्या में विवादित बाबरी मज्जिद का निर्माण || Babri Masjid Ayodhya in Hindi
अयोध्या में ऐसे स्थल पर एक मस्जिद बनवाया गया, जिसे हिंदू अपने आराध्य देव भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं. कहा जाता है कि मुगल राजा बाबर के सेनापति मीर बाकी ने यहां मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था. बाबर 1526 में भारत आया. 1528 तक उसका साम्राज्य अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच गया. इसके बाद करीब तीन सदियों तक के इतिहास की जानकरी किसी भी ओपन सोर्स पर मौजूद नहीं है.
अयोध्या घाट और मंदिरों की एक धर्मनगरी है. हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं. आपको बता दें, रामायण की कथा में सरयू अयोध्या से होकर बहती है जिसे दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि माना जाता है. सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं। इनमें गुप्तद्वार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेष उल्लेखनीय है. मंदिरों में 'कनक भवन' सबसे सुंदर है।
अयोध्या विवाद : 1526 से 2019 तक सम्पूर्ण जानकारी : एक नजर में
1526 : इतिहासकारों के मुताबिक, बाबर इब्राहिम लोदी से जंग लड़ने 1526 में भारत आया था। बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने 1528 में अयोध्या में मस्जिद बनवाई। बाबर के सम्मान में इसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया।
1853 : अवध के नवाब वाजिद अली शाह के समय पहली बार अयोध्या में साम्प्रदायिक हिंसा भड़की। हिंदू समुदाय ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई।
1949 : विवादित स्थल पर सेंट्रल डोम के नीचे रामलला की मूर्ति स्थापित की गई।
1950 : हिंदू महासभा के वकील गोपाल विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में अर्जी दाखिल कर रामलला की मूर्ति की पूजा का अधिकार देने की मांग की।
1959 : निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताया।
1961 : सुन्नी वक्फ बोर्ड (सेंट्रल) ने मूर्ति स्थापित किए जाने के खिलाफ कोर्ट में अर्जी लगाई और मस्जिद व आसपास की जमीन पर अपना हक जताया।
1981 : उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जमीन के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।
1885 : फैजाबाद की जिला अदालत ने राम चबूतरे पर छतरी लगाने की महंत रघुबीर दास की अर्जी ठुकराई।
1989 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल पर यथास्थिति बरकरार रखने को कहा।
1992 : अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया।
2002 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे वाली जमीन के मालिकाना हक को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
2010 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2:1 से फैसला दिया और विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बराबर बांट दिया।
2011 : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
2016 : सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की इजाजत मांगी।
2018 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को लेकर दाखिल विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
6 अगस्त 2019 : सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हिंदू और मुस्लिम पक्ष की अपीलों पर सुनवाई शुरू की।
16 अक्टूबर 2019 : सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई पूरी हुई।
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