Battles of Rajasthan in Hindi - राजस्थान के प्रमुख युद्ध एवं तिथियां - Rajasthan Ke Pramukh Yudh
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Battles of Rajasthan in Hindi - राजस्थान के प्रमुख युद्ध एवं तिथियां |
आबू का युद्ध -- 1178 ई. --
* 1175 ई. में मुल्तान पर अधिकार करने के बाद 1178 ई. में गजनी का शासक मोहमद गोरी उच्छ और पश्चमी राजस्थान को पार कर भारत विजय हेतु आबू के निकट पहुंच गया।
* इस समय गुजरात पर चालुक्य (सोलंकी) वंशी मूलराज दितीय का शासन था, जिसकी रजधानी अन्हिलवाड़ा थी। मूलराज दितीय ने आबू के युद्ध में मोहमद गोरी को पराजित कर दिया था। मोहमद गोरी की यह भारत में प्रथम पराजय थी।
तुमुल का युद्ध -- 1182 ई. --
* चौहान शासक पृथ्वीराज तृतीय ने साम्राज्य विस्तार की निति के तहत 1182 ई. में पड़ोसी चन्देल राज्य पर आक्रमण कर दिया।
* चन्देल शासक परमदीदेव के प्रसिद्ध सेनानायक आल्हा व उदल चौहान सेना का मुकाबला करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। इसमें चौहान सेना विजयी रही। इस युद्ध को तुमुल का युद्ध कहा जाता है।
तराइन का प्रथम युद्ध --1191 ई. --
* तुर्क आक्रमणकारी मोहमद गोरी ने चौहान राज्य की सीमाओं का उलंघन करते हुए 1191 ई. में भटिण्डा (तबरहिन्द) को जीत लिया।
* पृथ्वीराज चौहान तृतीय ने तराइन (जिला करनाल, हरियाणा) के मैदान में तुर्क सेना का सामना किया तथा तुर्को को गहरी शिकस्त दी।
तराइन का द्वितीय युद्ध -- 1192 ई. --
* यह युद्ध भी तराइन के मैदान में ही लड़ा गया था एवं इस बार भी मोहमद गोरी और पृथ्वीराज चौहान तृतीय के बीच यह युद्ध हुआ। लेकिन इस बार इस युद्ध में पृथ्वीराज को बंदी बना लिया गया था एवं उनकी हत्या कर दी गई थी। इस युद्ध के बाद अजमेर और दिल्ली में तुर्को का अधिकार हो गया था।
रणथम्भौर का युद्ध -- 1301 ई. --
*सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने उलुग खा और नुसरत खा के नेतृत्व में रणथम्भौर विजय के लिए सेना भेजी, परन्तु यह सेना पराजित हुई और नुसरत खा मारा गया।
* 1301 में स्वम सुल्तान ने रणथम्भौर पर आक्रमण कर दिया। सुल्तान ने रणथभौर के दो मंत्रियों को अपनी और मिला कर वहाँ अपना अधिकार जमा लिया।
* इस समय किले की महिलाओं ने रानी रंगा देवी के नेतृत्व में जौहर किया। यह राजस्थान का "प्रथम साका" कहलाता है।
चितौड़ का युद्ध -- 1303 -- ई. --
* अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 ई. में चितौड़ पर आक्रमण किया, चितौड़ पर इस समय रावल रतनसिंह (1302 - 1303 ई.) का शासन था।
* रतनसिंह अपने सेनापतियों गोरा व बादल सहित लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। तथा महिलाओं ने रानी पदमिनी के साथ जौहर किया। यह चितौड़ का प्रथम एवं राजस्थान का दूसरा साका माना जाता है।
* अलाउद्दीन ने चितौड़ पर अपना अधिकार कर लिया अपने पुत्र खिज्र खा को वहाँ का प्रशासक नियुक्त कर दिया तथा चितौड़ का नाम बदल कर खिज्राबाद कर दिया।
सिवाना का युद्ध -- 1308 -- ई. --
* सिवाना का युद्ध जालौर विजय की पृष्ठभूमि के रूप में हुआ क्योंकि सिवाना जालौर के अधीन था। इस समय सिवाना का प्रशासक सातलदेव था।
* राजपूत सरदार भावले के विश्वासघात के कारण सातलदेव मारा गया। महिलाओं ने जौहर कर लिया।
* अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाना (बाड़मेर) पर अपना अधिकार कर लिया। इसका नाम बदल कर "खैराबाद" कर दिया।
जालौर का युद्ध -- 1311 -- ई. --
* अलाउद्दीन खिलजी ने 1311 ई. में कमालुद्दीन गुर्ग के नेतृत्व में एक सेना जालौर विजय हेतु भेजी।
* दहिया सरदार बीका के विश्वाश्घात के कारण कान्हड़देव की पराजय हुई और वह वीरगति को प्राप्त हुआ।
*जालौर पर तुर्को का अधिकार हो गया और सुल्तान ने जालौर का नाम बदल कर "जलालाबाद" कर दिया।
* पदमनाभ ने अपने ग्रंथ "कान्हड़देव प्रबन्ध" में इस युद्ध का विस्तार से वर्णन किया है।
सिंगोली का युद्ध -- 1326 -- ई. --
* सिसोदिया राणा हम्मीर ने चतौड़ पर पुन : गुहिलों का अधिकार स्थापित किया था।
* इस समय दिल्ली पर मोहमद बिन तुगलक का शासन था। उसने चितौड़ को पुन: दिल्ली सल्तनत में मिलाने के लिए अपनी सेना भेजी, परन्तु राणा हम्मीर ने सिंगोली के युद्ध में सुल्तान की सेना को पराजित कर खदेड़ दिया।
सारंगपुर का युद्ध -- 1437 -- ई. --
* सारंगपुर (म. प्र.) का युद्ध महाराणा कुम्भा और मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी प्रथम के बीच हुआ था। जिसमे कुम्भा की विजय हुई थी।
* इस विजय के उपलक्ष्य में कुम्भा ने चितौड़ में कीर्तिस्तम्भ (विजय स्तम्भ) का निर्माण करवाया था।
दाड़ीमपुर का युद्ध -- 1473 -- ई. --
* उदा या उदयकरण अपने पिता राणा कुम्भा की हत्या कर मेवाड़ का शासक बना था। जिससे मेवाड़ के अधिकांश सामंत उससे घृणा करते थे।
* कुम्भा के दूसरे पुत्र रायमल ने अपने समर्थकों की सहायता से दाड़ीमपुर के युद्ध में उदा को पराजित कर चितौड़ पर अधिकार कर लिया। उदा भागकर माण्डू चला गया, जहाँ बिजली गिरने से उसकी मृत्यु हो गई।
खतौली का युद्ध -- 1518 -- ई. --
* महाराणा सांगा और दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी के मध्य 1518 ई. में खतौली (कोटा) का युद्ध हुआ।
* इस युद्ध में सांगा विजयी रहा, परिणामस्वरूप सम्पूर्ण उत्तर भारत में सांगा की शक्ति की धाक जम गई।
बाड़ी का युद्ध -- 1519 -- ई. --
* मियाँ हुसैन फारमूली व मियाँ माखन के नेतृत्व वाली इब्राहिम लोदी की सेना और महाराणा सांगा के मध्य धौलपुर के निकट बाड़ी नामक स्थान पर 1519 ई. में युद्ध हुआ।
* सांगा ने इब्राहिम लोदी की सेना को पराजित किया।
गागरोन का युद्ध -- 1519 -- ई. --
* इस युद्ध में महाराणा सांगा ने मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी द्वितीय को पराजित किया।
ढोसी का युद्ध -- 1526 -- ई. --
* राज्य विस्तार के प्रयास में बीकानेर के राठौड़ शासक राव लूणकरण ने 1526 ई. में नारनौल (हरियाणा) पर आक्रमण कर दिया।
* नारनौल के शासक शेख अबीमीरा के साथ हुए ढोसी के युद्ध में राव लूणकरण वीरगति को प्राप्त हुआ तथा राठौड़ सेना पराजित हुई।
बयाना का युद्ध -- फरवरी, 1527 -- ई. --
* पानीपत की विजय के बाद मुगल बादशाह बाबर की सेना ने बयाना (भरतपुर) पर अधिकार कर लिया था परन्तु फरवरी, 1527 ई. में राणा सांगा इ मुगल सेना को पराजित कर बयाना पर पुन : अधिकार कर लिया।
खानवा का युद्ध -- 17 मार्च 1527 -- ई. --
* भरतपुर जिले में स्थित खानवा में 17 मार्च, 1527 ई. को मुगल बादशाह बाबर और महाराणा सांगा के मध्य युद्ध हुआ जिसमे बाबर की जीत हुई।
* मुस्लिम शासको - हसंत खा मेवाती (नागौर) और महमूद लोदी (इब्राहिम लोदी का भाई) ने भी इस युद्ध में महाराणा सांगा की ओर से भाग लिया था।
* यह युद्ध भारतीय इतिहास के निर्णायक युद्धों में से एक था। इसी युद्ध से भारत में मुगल शासन की वास्तविक रूप से स्थापना मानी जाती है।
to be continued...
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