Lokayukta in Hindi - लोकायुक्त क्या है ? कार्यक्षेत्र एवं शक्तियां - Rajasthan Lokayukta in Hindi
लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 ने संघ (केंद्र) के लिये लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त संस्था की व्यवस्था की है।
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Lokayukta in Hindi - लोकायुक्त क्या है ? कार्यक्षेत्र एवं शक्तियां |
भारतीय जनतांत्रिक प्रणाली को मजबूत एवं पारदर्शी बनाने के लिए समय- समय पर हमारे प्रशासन एवं सरकारों ने अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाये है। इन्ही प्रयासों की कडी को और मजबूत करते हुए राजस्थान सरकार ने अपने एक अभूतपूर्व फैसले में राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति की है, जो न कवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लागायेगा बल्कि लोकसेवकों की स्वेच्छाचारिता पर भी लगाम कसेगा।
लोकायुक्त के कार्यक्षेत्र एवं शक्तियां
जो प्रशासनिक कर्मचारी देश को दीमक की तरह अंदर से खोखला कर रहे है उन सब पर नजर रखने के लिए भारत में "लोकपाल" और राज्य में "लोकायुक्त" नियुक्त है। जो देश में फैला रहे भष्टाचार पर लगाम लगाएंगे।
लोकायुक्त लोकसेवको पर नरज रखता है और उन्हें ईमानदार पूर्वक अपने कार्य को सम्पन करने की विशेष सलाह भी देता है।
लोकायुक्त से अभिप्राय है, कि ऐसे लोक सेवक जो स्वयं को या किसी अन्य व्यक्ति को अनावश्यक या लाभ पहुंचाने या पक्षपात करने के लिये अथवा किसी व्यक्ति को अनावश्यक कष्ट या क्षति पहुचाने के लिये इस रूप में अपनी हैसियत का जानबूझ कर या साभिप्राय दुरूपयोग किया, ऐसे लोकसेवक के रूप में अपनी हैसियत में भ्रष्टाचार का दोषी है, ईमानदारी में कमी है या अपनी आय के स्त्रोतों से असंगत आर्थिक साधन या सम्पति उसके कब्जे में है तथा ऐसे आर्थिक साधन या सम्पति लोकसेवक द्वारा व्यक्तिगत रूप में या उसके परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा धारण की गई है, ऐसे व्यक्ति इस दायरे में आते है।
लोकसेवक में शामिल है, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 21 में परिभाषित:
क) कोई व्यक्ति जिसमें वर्तमान एवं पूर्व मुख्यमंत्री, अन्य मंत्री, राज्य विधान मंडल के सदस्य, विधान सभा के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष।
ख) इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा निगमित, पंजीकृत/गठित किसी कानूनी या गैर कानूनी निकाय अध्यक्ष, उपाध्यक्ष/सदस्य।
ग) सरकारी समितियों से सम्बन्धित विधि के अधीन निगमित या पंजीकृत किसी समिति का प्रधान , उप प्रधान व प्रबन्ध निदेशक।
घ) किसी विश्वविध्यालय का कोई कुलपति या कोई प्रति-कुलपति या कुल सचिव।
भ्रष्टाचार फैलाने में समाज का हर वर्ग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी है। आम आदमी से लेकर खास आदमी तक सभी ने इसे अपनी स्वार्थपूर्ति हेतु पोषित किया हे जोकि कडवा सच है। लोकायुक्त जैसी बेहतर महत्वपूर्ण व्यवस्था होने के साथ-साथ समाज के सभी वर्गो से संवाद, विचार एवं परिचर्चा के आधार पर स्थायी नैतिक मूल्यों के प्रति पुनर्विश्वास जागृत करना होगा। राजनैतिक इच्छा-शक्ति को जनमत से तैयार करना होगा। जब आम व्यक्ति प्रशासनिक कुरीतियों को दूर करने के लिये सकंल्प लेगा और अपना रचनात्मक सहयोग देगा तभी से संस्थाएं मजबूत होंगी। आप भी देश के प्रति अपने कर्तव्य को निभाये और भ्रष्टाचार से मुक्ति पाएं।
* अगर लोकायुक्त के निशाने पर कोई सरकारी प्रबंधक या अन्य राज्य लोक सेवक है तो वह उनके घर और ऑफिस में छापा भी मार सकते है। इस संस्था को इसका पूरा अधिकार है।
महत्वपूर्ण बिंदु -
- राजस्थान में लोकायुक्त का सचिवालय जयपुर शहर में स्थित है।
- न्याय मूर्ति आई डी दुआ राजस्थान के पहले लोकायुक्त थे।
- राजस्थान में सर्वप्रथम 1963 में हरिश्चंद्र माथुर की अध्यक्षता में गठित प्रशासनिक सुधार समिति ने लोकायुक्त जैसी संस्था की स्थापना की सिफारिश की थी जो कार्यपालिका के कार्यो पर नजर रखें तथा शिकायतों व भष्ट्राचार के मामलों की जांच कर सकें।
- राजस्थान में अब तक 12 लोकायुक्तो की नियुक्ति हो चुकी है। वर्तमान लोकायुक्त न्यायमूर्ति श्री एसएस कोठारी 25 मार्च 2013 से निरंतर कार्यरत हैं।
- राजस्थान के प्रथम तथा एकमात्र उप लोकायुक्त श्री के पी यू मेनन थे।
- वर्ष 1971 में महाराष्ट्र में 1975 राजस्थान में और उपरांत लगभग 20 से अधिक राज्यों में लोकायुक्त संस्था की स्थापना हुई। वर्ष 1973 में राजस्थान में लोकायुक्त का उप लोकायुक्त अध्यादेश पारित हुआ जो 3 फरवरी 1973 से राजस्थान में प्रभावी हुआ।
राज्य के "सुचना आयोग" के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें - राज्य सुचना आयोग
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