महान सम्राट अशोक का इतिहास और जीवन परिचय - Samrat Ashok Ka Itihas | Life History of Samrat Ashok in Hindi | Morya Samrajya in Hindi
- चक्रवर्ती सम्राट अशोक (272-232 ई.पू.) विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य (राजा प्रियदर्शी देवताओं का प्रिय) था। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है।
- उन्होंने बौद्ध धर्म का भी प्रचार किया था। भारत का राष्ट्रीय चिह्न (National Symbols) 'अशोक चक्र' और शेरों की त्रिमूर्ति 'अशोक स्तम्भ' भी अशोक महान की ही देन है।
- अशोक की माता का नाम शुभाद्रंगी एवं जनपद कल्याणी था।
- 260 ई.पू. में अशोक ने कलिंग युद्ध लडा जिसमें बहुत नरसंहार हुआ।
- भारतीय इतिहास में अशोक पहला सम्राट है जिसने अपने संलेखों को पत्थरों पर अंकित करवाया।
- वह कंलिग में हुए नरसंहार से बहुत आहत हुआ एवं इस युद्ध के पश्चात उसने जीत के लिए युद्ध त्याग कर दिया।
- अब उसने शांतिवाद का मार्ग अपनाते हुए एक सच्चे सम्राट की तरह पूरे क्षेत्र पर शासन किया।
- उसने लुम्बिनी का भ्रमण किया, जो बुद्ध का जन्म स्थान था। उसने एक आदेश जारी किया जिसे रूमिनीदें स्तंभ कहा जाता है जिसमें लुम्बिनी के लोगों के लिए करों में कमी करने का आदेश था। लुम्बिनी शाक्यमुनि का जन्म स्थान हैं।
- अशोक के तीन पत्नियां थी जिनका नाम असंधीमित्र, चारूवकी (कौखकी) एवं पद्मावती था।
- उसके चार पुत्र थे जिनका नाम महेंद्र, तिवार, कुनाल एवं जौलक था।
- उसके दो पुत्रियां भी थी जिनका नाम चारूमती एवं संघमित्रा था।
- महेंद्र एवं संघमित्रा ने बौद्ध धर्म को अपनाया एवं बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका का भ्रमण किया। 232 ई.पू. में अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य वंश ज्यादा समय तक नहीं रहा। पूरा साम्राज्य पूर्व एवं पश्चिम दो भागों में विभाजित हो गया था। पूर्वी भाग अशोक के पौत्र दशरथ द्वारा संचालित किया गया।
- अशोक के पिता राजा बिन्दुसार थे एवं दादा महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य थे।
- सम्राट अशोक का पुत्र महिंदा एवं (महेंद्र) एक बौद्ध भिक्षु था। जिन्होंने श्रीलंका आदि देशो में बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
- पश्चिमी भाग कुनाल द्वारा संचालित किया जा रहा था। वृहद्रथ मौर्य राजाऔं की श्रंखला में अंतिम राजा था एवं जिसका वध स्वयं उसके मुख्य सेनापति पुष्यमित्र शुंग द्वारा किया गया।
- अंतिम शासक "वृहद्रथ मौर्य" के बाद अब भारत में पूर्व गुप्तकाल का प्रारम्भ होता है। जिसके प्रथम शासक थे मौर्य सेनापति पुष्यमित्र शुंग।
इन सभी के बाद अब हम बिन्दुसार के पुत्र "सम्राट अशोक के शिलालेख" के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे - महान सम्राट अशोक के शिलालेख
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